SESSION: 13th August, 2025 {SATSANG}
- Narayan Reiki Satsang Parivar Team
- Aug 13
- 7 min read
|| नारायण नारायण ||
13th August 2025 बुधवार सत्संग का सारांश । सत्संग आपके लिए राज दीदी के दैविक सत्संग के खजाने से लाया गया है।
राज दीदी ने सत्र की शुरुआत नारायण प्रार्थना से की। राज दीदी ने आगे श्रीमती विजयन का लिखा हुआ प्रसंग श्रीमती राधिका के माध्यम से साझा किया। राधिका लिखती है कि आज उन प्रसंगों की चर्चा हो रही थी जिसने मेरे दिल को छुआ और मुझे कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। सच कहूं तो मुझे सुधार दिया और आज मैं जिस ऊंचाई पर हूं या जो सफल जीवन जी रही हूं उसके पीछे इन प्रसंगों का बहुत बड़ा हाथ है। इन तीन प्रसंगों ने मेरा जीवन बदल दिया है, हो सकता है आपका भी जीवन बदल जाए..!
पहले प्रसंग में राधिका लिखती है कि हमारे घर के नजदीक कृष्णा लॉन्ड्री है, दिखने में साधारण सी दुकान है, लेकिन शोरूम का लुक देती है। आजकल के इस मॉडर्न जमाने में भी उस कृष्णा लॉन्ड्री के मालिक ने प्रेस करने का पुराना तरीका ही अपना रखा है। लोहे की एक भारी भरकम पुरानी सी प्रेस है जिसमें ढेर सारा कोयला भरकर प्रेस करना होता है, ऐसी उसकी व्यवस्था है। राधिका कहती है कि चाहे उसने प्रेस करने का पूराना तरीका अपना रखा हो, लेकिन कपड़े डिलीवरी करने के नए-नए तरीके उसने खोज रखे हैं। राधिका कहती है कि आज तक मैंने जितने भी धोबी के शॉप्स देखे हैं, उसमें हमेशा ऐसा ही देखा है कि उनकी दुकानों में बहुत सारे कपड़ों के ढेर लगे रहते है, लेकिन कृष्णा लॉन्ड्री में आपको एक भी कपड़ा फैला हुआ दिखाई नहीं देगा, उनकी दुकान एकदम नीट एंड क्लीन है। उसके शॉप पर पुराना सा एक बड़ा सा लकड़ी का कपाट है, जिसमें प्रेस किए हुए कपड़े व्यवस्थित तरीके से जचे हुए रहते हैं। कृष्ण लॉन्ड्री का मालिक जिस दिवानगी के साथ, जिस समर्पित भाव के साथ अपना काम करता है उसे देखकर मैं कई बार दंग रह जाती हूं। कपड़े प्रेस करने के बाद जब वह कपड़ों को पैक करता है तो वह दोनों, तीनों जगहों से पेपर डालकर पैकिंग इतनी टाइट होती है कि कपड़े कस्टमर के हाथ में जाने के बाद, जब तक कस्टमर की अलमारी में कपड़े सेट ना हो जाए तब तक उनको उन कपड़ों में एक भी क्रिझ नजर नहीं आएगी। राधिका कहती है कि पिछले तीन सालों से मैं उसकी कस्टमर हूं और आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि डिलीवरी डेट देने के बाद उसने डिलीवरी देने में देरी की हो। आप डिलीवरी वाले दिन पहुंचिए, अपना बिल और पैसे दीजिए, आपको आपका पैकेट रेडी मिलेगा। इन तीन सालों में एक भी कपड़ा उसने कभी भी खराब नहीं किया है, ना ही कोई कपड़ा बदला और ना ही काम में देरी की। उसके काम को देखते हुए अक्सर मेरे मन में यह भाव आता है कि जिस समर्पित भाव के साथ, जिस तल्लीनता के साथ, जिस दीवानगी के साथ वह अपना काम करता है, जिस सफाई से वह अपना काम करता है, जैसे बिफोर टाइम अपना काम करके रखता है, मैं भी उसी तरह अपना काम करती हूं क्या..?? यदि मैं भी ऐसा करना शुरू कर दू तो निश्चित है कि मेरे काम की क्वालिटी भी इम्प्रूव हो जाएगी, इससे मेरे इर्द-गिर्द जो लोग हैं उनमें भी परिवर्तन आएगा। मैं दावे के साथ ऐसा कह सकती हूं कि मेरे स्वभाव में अगर परिवर्तन आएगा तो मेरे इर्द-गिर्द के लोग भी सुधर जाएंगे। मै दावे के साथ इसलिए ऐसा कह पा रही हूं क्योंकि कुछ दिनों पहले मैं और मेरे पति केशव रात को 12:00 बजे एक फिल्म देखकर घर लौट रहे थे, केशव हमेशा से ही अनुशासित रहे हैं। सिग्नल देखते ही उन्होंने अपनी मोटर बाइक वही पर रोक दी, जबकि हमसे आगे वाली गाड़ियां सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ चुकी थी। कोई ट्रैफिक हवलदार भी नहीं था फिर भी हम रुके हुए थे। हमने फिर देखा कि ज्यों ही केशव ने अपनी मोटर बाइक रोकी वैसे ही पीछे का पूरा ट्रैफिक थम गया। हमने अच्छा काम किया और हमें देखकर पीछे वाला ट्रैफिक भी रुक गया। राधिका रहती है कि उस एग्जांपल को देखकर मुझे यह एहसास हो रहा है कि यदि मैं भी बढ़िया तरीके को अपनाती हूं तो निश्चित है कि मेरे इर्द-गिर्द के लोगों पर भी इसका असर होगा और वे भी इन चीजों को अपनाएंगे।
दूसरे प्रसंग में राधिका लिखती है कि मेरे यहां रोज न्यूजपेपर आता है। शिवा नाम का लड़का मेरे घर पर रोज न्यूजपेपर की डिलिवरी करता है, वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी है। सुबह 6:00 के आसपास सुबह पेपर लेकर आ जाता है और 4 साल में एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ कि उसने छुट्टी ली हो या पेपर देने में देरी की हो। उसका यह कमिटमेंट देखकर मैं अक्सर यह सोचती हूं कि अपने काम के प्रति मैं भी इतनी कमीटेड हूं क्या..?? यदि मैं भी अपने काम के प्रति कमिटेड हो जाती हूं तो निश्चित है मेरे ऑफिस में मेरे बॉस के अंडर में मैं एक विश्वास पात्र व्यक्ति कहलाऊंगी। इसका असर आसपास तो पड़ेगा ही पड़ेगा और यह भी निश्चित है कि मेरा आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। मैंने शिवा से अपने काम के प्रति कमिटेड रहना सीखा और मैंने उस आदत को अपना लिया।
तीसरे प्रसंग ने राधिका को दिल की गहराइयों तक छू दिया। एक रविवार के दिन की बात है, सुबह-सुबह का वक्त था और केशव ने देखा कि कार के दोनों टायर पंचर है। रविवार के दिन मैकेनिक मिलना भी बहुत मुश्किल होता है। दिनभर खोजते खोजते देर शाम तक हमें रोडसाइड पर एक मैकेनिक मिला। उसने दोनों टायर रिपेयर कर दिए और कार सही हो गई। सोमवार सुबह जब केशव ऑफिस जा रहे थे तब उन्होंने देखा कि उन दोनों में से एक टायर पुनः पंचर था। राधिका लिखती है, यह देखकर मुझे बहुत क्रोध आया कि उस रोडसाइड मैकेनिक ने हमें चीट किया है। मैं क्रोध में भरी हुई थी और मैंने उसे फोन किया और ढेर सारी अंटशंट बातें सुना दी। वह बेचारा सामने से बारंबार माफी मांगता जा रहा था कि मैडम मुझसे गलती हो गई है, मैं आपके पैसे वापस लौटा दूंगा लेकिन मैं उसकी बात सुनने के बिल्कुल भी मूड में नहीं थी, क्योंकि मुझे अच्छे से पता था कि पैसे तो वापस आने वाले ही नहीं है। आधा घंटा ही बीता होगा कि मेरे घर की डोर बैल बजी, दरवाजा खोलते ही सामने उस मैकेनिक को देखकर मैं दंग रह गई। वह बेचारा मेरे पैसे लौटाने के लिए आया था। साथ ही साथ उसने पुनः उस टायर को रिपेयर करके दिया और उसने यह कहते हुए उसके पैसे भी नहीं लिए कि मैडम मुझसे गलती हुई है। राधिका आगे लिखती है कि उस रोड साइड मैकेनिक ने मुझे यह जबरदस्त सबक सिखा दिया कि अपने काम के प्रति समर्पित होना किसे कहते हैं, ईमानदारी किसे कहते हैं। इस बात को भी मैंने अपनाया।
राधिका आगे लिखती है कि ऐसे ही इन चीजों को अपनाते अपनाते मैं कहा से कहा पहुंच गई। यदि आपको भी इनमें से किसी भी प्रसंग ने भीतर तक छुआ है तो आप उस पर काम करें, ऐसा करने से आपको सफलता निश्चित ही मिलेगी।
नारायण नारायण। आई लव यू, आई लाइक यू, आई रिस्पेक्ट यू। नारायण ब्लेस यू वीथ हेल्थ, वेल्थ एंड प्रोस्पेरिटी। यह कहकर राज दीदी ने सभी को आशीर्वाद देते हुए राम-राम २१ का जाप किया। नारायण नारायण।
मुख्य शब्द : समर्पण, शुद्धता और लगन!!
नारायण धन्यवाद
राज दीदी धन्यवाद
सादर सप्रेम सहित
स्वाति जोशी 🙏🙏
मलाड, मुंबई
.
.
.
.
.
|| Narayan Narayan ||
The Summary of 13th August 2025, The Divine Wednesday Satsang. The Satsang has been brought to you from the treasure box of Raj Didi‘s satsangs.
Raj Didi began the session with the Narayana Dhanyavaad Prayer. Didi then shared an incident written by Mrs. Vijayan through Mrs. Radhika. Radhika writes that today some incidents were being discussed which touched her heart and made her think deeply. To be honest, they corrected her thought process. Radhika shares ‘whatever heights I have reached today or the success I have achieved — these three incidents have played a huge role in it. They changed my life, and they might change yours too’.
First Incident : “Near our house there‘s Krishna Laundry — a small, simple shop, but it looks like a showroom. In today’s modern times, the owner still uses the old method of ironing — a big, heavy iron filled with lots of coal. Although the ironing method is traditional, he has found innovative ways to deliver clothes. In every other laundry shop I have seen, clothes are piled everywhere, but not at Krishna Laundry. His shop is neat and clean. A large wooden cupboard neatly holds all the pressed clothes.
The owner works with such passion and dedication that I am often amazed. While packing the clothes, he inserts paper in 2–3 places, making the packaging so tight that the clothes remain crease-free until they are placed in the customer‘s cupboard. I have been his customer for three years, and not even once has he delayed a delivery, mixed up clothes, or damaged anything. Observing his devotion, neatness, and punctuality makes me question — do I also work with the same dedication and precision.? If I start doing so, my work quality will improve, and people around me will also change. I can confidently say this because of another experience. Few days ago, my husband Keshav and I were returning from a movie at midnight. Keshav has always been disciplined — at a red signal, he stopped the bike even though others broke the signal. No traffic police were there, but still we kept waiting. Surprisingly, as soon as Keshav stopped, the traffic behind us also stopped. Seeing this, I realized that when we adopt good practices, people around us follow too”.
Second Incident : ‘We get the newspaper delivered daily by Shiva, a Class 10 student. He comes around 6:00 AM, and in the last 4 years, he has never missed a single day or been late. His commitment makes me think — am I equally committed to my work.? If I am, my boss will see me as a trustworthy person, people at my workplace will improve, and my self-confidence will grow. I learned commitment from Shiva and adopted it’.
Third Incident : “One Sunday morning, Keshav saw both our car tyres were punctured. Finding a mechanic on Sunday was hard, but by evening we found one roadside mechanic who repaired both tyres. The next morning, one tyre was flat again. I got angry, thinking he had cheated us, and I called him, scolding him a lot. He kept apologizing and offered to return the money, but I didn‘t believe he would.
After 30 minutes, my doorbell rang — to my shock, it was the mechanic. He returned the money and repaired the tyre again, refusing to take payment. He said, “Madam, it was my mistake.” That day, the roadside mechanic taught me a powerful lesson on dedication and honesty. I adopted that too.
Radhika writes that by adopting such values, I have grown from where I was to where I am today. If even one of these incidents touches your heart and you practice it, success will surely follow.
Raj Didi said the mantra - “I love you, I like you, I respect you. Narayana bless you with health, wealth, and prosperity.” With these words, Raj Didi blessed every one with Ram Ram 21.
Keywords : Dedication, Precision, Devotion.
Narayan Dhanyawad
Raj Didi Dhanyawad
With Regards
Mona Rauka 🙏
Comments